Madhu varma

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लेखनी कविता -ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा - ग़ालिब

ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा / ग़ालिब


ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा
सुन लेते हैं गो ज़िक्र हमारा नहीं करते
 
ग़ालिब तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को
वो सुन के बुला लें ये इजारा नहीं करते

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